मसाले दानी
जीरे जैसी आँखे तेरी
केसर से है बाल
तीखे मिर्च से होट तेरे
गाल टमाटर जैसे लाल
मुझको इतना भाती है तेरे चहरे की चमक
जितना जरुरी होता है खाने के लिए नमक
हल्दी सी बातें तेरी हर जख्म को भर जाती है
सौफ़ सी खुशबू फिर चारों दिशाओं को महकती है
गर्म तशीर तेरी जैसे गर्म मसाला
गोर गालो पर सजा है तिल ये कला
तुलसी सी पावन वो उसपर उसकी अलहड़ जवानी
कोई मुझको बतलाये की वो लड़की है या कोई मासाले दानी
Waoooo very nice poem sir ji👌👌👌
ReplyDeleteतीखी चटकदार...
ReplyDeleteBdi chat pti h
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