तन्हाईयाँ जब सताने लगेंगी





जब तनहाईयाँ तुझे सताने लगेंगी 
नींद फिर तुमसे भी आख चुराने लगेंगी 
खोल कर पढ़ लेना इन खतो को मेरे 
बन के लोरिया फिर तुझे सुलाने लगेंगी 


बंद कर के सोना खिडकियों को अपनी 
ये सर्द हवाएं तुझे सुलगाने लगेंगी 

और बैठ  जाओगी लेकर तस्वीर को मेरी 
शिकायतें  जी खोल कर फिर  सुनाने लगोगी 

क्यों दी मुझे जाने की कसम 
कसम चढ़ा कर तू खुद पछताने लगेंगी 

छोड़ देगी तू अन जल को तू फिर 
प्रांजल के लौौट आने के लिए फिर दीपक जलाने लगेंगी 


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