प्यार की परिभाषा













तप त्याग तृस्ना तुमको  
सब इसमें मिल जाए|  
बहुअर्थी इस प्यार को
 कोई समझ ना पाए|

ना गिला कर अगर वक़्त के साथ अपनों की फितरत बदल जाती है 
अँधेरा होने पर तो प्रांजलअपनी परछाई भी साथ छोड़ जाती है


        जरुरत को महोबत बता रहे है 

      इस तरह से सब रिश्ते निभा रहे है

कुछ तो अपनों के हाथो से छुट कर चूर चूर हो जाते है
हर आईने  की किस्मत में भी पत्थर नही होता

  कैसे मिल जाते फिर वो मुझे 
जब हर वक़्त भगवान् से मैने उनकी ख़ुशी ही चाही 

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