अनन्त युद्ध
ना राम कभी जीत पाए
ना रावण कभी हरा है
वह तो केवल एक शरीर था
जिसको राम ने मारा है
दोनो के बीच सदियों से
अनंत युद्ध चलता आया
जुबा पर राम मन में रावण
एक देह की ये है माया
ना ये धरती बदली
ना बदला ये आकाश
ना राम की मरियादा बदली
ना रावण की वो प्यास
बदला है तो बस इतना जग में
एक हो गए अब दो किरदार
राम भी मै, रावण भी मै
कैसे होगा फिर भवसागर पार
करवट लेते मुझ में ये
लालच, मोह त्याग पर ये भारी है
इस लिए ही मेरे मन में
ये अनंतयुद्ध जारी है
Very nice
ReplyDeleteथैंक्स आप को इन भावनाओ को समझने के लिए
Deleteवाह बहुत खूब भैया जी 😊🤙🙏
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