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अनन्त युद्ध  ना राम कभी जीत पाए  ना रावण कभी हरा है  वह तो केवल एक शरीर था  जिसको राम ने मारा है  दोनो के बीच सदियों से  अनंत युद्ध चलता आया  जुबा पर राम मन में रावण  एक देह की ये है माया  ना ये धरती बदली  ना बदला ये आकाश  ना राम की मरियादा बदली  ना रावण की वो प्यास  बदला है तो बस इतना जग में  एक हो गए अब दो किरदार  राम भी मै,  रावण भी मै  कैसे होगा फिर भवसागर पार  करवट लेते मुझ में ये  लालच, मोह त्याग पर ये भारी है  इस लिए ही मेरे मन में  ये अनंतयुद्ध जारी है  प्यार की परिभाषा तन्हाईयाँ जब सताने लगेंगी

सूरज कल तुम देर से आना

सूरज तुम मुझको एक ये बात बतलाना कहाँँ से सीखा तुमने यु जल्दी जग जाना क्यों तुम जल्दी जग जाते हो नींद हमारी खा जाते हो मम्मी शोर मचाती है स्कूल के लिए जगाती है baalkavita नही चलता फिर मेरा कोई बहाना प्लीज कल तुम थोड देर से आना बात अपनी राज की किसी को न मै बतलाउगा स्कूल की चिंता छोड़ कर फिर मेैै भी देर तक सो जाउगा प्यार करने की सजा प्यार की परिभाषा

प्यार करने की सजा

फिर से खुद को तन्हा पा रहे है अपनों से भी ना नजर मिला पा रहे है  क्यों ये दिल लगा लिया हमने  बस प्यार करने की सजा पा रहे है  प्यार करने की सजा         आँख भी ना अब बंद की जाती है          कल तक जो पसंद था वो चीज़ ना अब भाती है          अपनी ही पसंद को कुछ इस तरह मिटा रहे है          बस प्यार करने की सजा पा रहे है हँसते थे हम भी मुस्कराते थे  चलते थे जब तो थोडा हम भी इठलाते थे  अब तो मुस्कराकर मनो खुद पर अहसान जता रहे है  बस प्यार करने की सजा पा रहे है                          पता नही कब तक ये घाव भर पायेगा             साया खुद का ही और कितना रुलाएगा             आँसुओ से अपने सीने को और जला रहे है            बस प्यार करने की सजा पा रहे है जब हमने उसको बेवफा कह दिया है  भूल...

प्यार की परिभाषा

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तप त्याग तृस्ना तुमको   सब इसमें मिल जाए|    बहुअर्थी इस प्यार को  कोई समझ ना पाए| ना गिला कर अगर वक़्त के साथ अपनों की फितरत बदल जाती है  अँधेरा होने पर तो प्रांजलअपनी परछाई भी साथ छोड़ जाती है         जरुरत को महोबत बता रहे है        इस तरह से सब रिश्ते निभा रहे है कुछ तो अपनों के हाथो से छुट कर चूर चूर हो जाते है हर आईने  की किस्मत में भी पत्थर नही होता   कैसे मिल जाते फिर वो मुझे  जब हर वक़्त भगवान् से मैने उनकी ख़ुशी ही चाही  उत्तराखंड की अनसुनी कहानियाँ

भैैजी और भुला (हँसने से बचें)

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                                                 भैैजी और भुला का विडियो यहाँ देखे                                                           भैैजी आजकाल न  छम छम सुणाद मित्या  बल झणी कौण है आती  पाजेब बजे बजे कन  मित्या रोज बिजाती  नीन्द चुराती मेरा चैन चुराती  पुगुड पुगुड हिटदी वा  पर कभी ना दिख्याती  आछारी  वेल व़ा परी या जरुर कोई अप्सरा  इले त वा झट लुक जाती     भैजी भुला को समझाते हुए  ना आछारी च वा  ना वा कोई अप्सरा ना पाजेब बजा कर तुझे रिझाती  सुबेर सुबेर चार बजे तेरी बो  पुगुड में मोल धोलने है जाती ||                           ...

मेरे गाँव का मकान

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कब से इनतजर में हुँ बस एक सवाल के जवाब के की एैैसी क्या गल्ती  मुझसे हुयी की मुख मोड़ लिया तो सुुद भी ना ली मेरी                                                                   कोई जाकर उनको ये बता दो                                                                  मैनेंं तो रखा है संभाल कर                                                                  उनका वो बचपन वो यादें वो सपने                           ...

मसाले दानी

जीरे जैसी आँखे तेरी  केसर से है बाल  तीखे मिर्च से होट तेरे  गाल टमाटर जैसे लाल  मुझको इतना भाती है तेरे चहरे की चमक  जितना जरुरी होता है खाने के लिए नमक  हल्दी सी बातें  तेरी हर जख्म को भर जाती है  सौफ़ सी खुशबू फिर चारों दिशाओं को महकती है  गर्म तशीर तेरी जैसे गर्म मसाला  गोर गालो पर सजा  है तिल ये कला  तुलसी सी पावन वो उसपर उसकी अलहड़ जवानी  कोई मुझको बतलाये की वो लड़की है या  कोई  मासाले दानी